Khalid husain

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लेखनी कविता प्रतियोगिता -20-May-2022

एक ताजा ग़ज़ल जो आज ही लिखी गई है आप सभी के सामने पेशे खिदमत है ।
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                      ग़ज़ल                                                                         रात आती रही और जाती रही                                                         तन्हाई बैठ कर  मुस्कराती रही 

समन्दर में यादों के हम खो गये
और ये ठंडी हवा सरसराती रही
चाँद भी रफ्ता रफ्ता चलता गया            

 सितारों की महफिल गुनगुनाती रही                                                   दरिया की लहरों में कश्ती कोई 

रोशनी लिए हिचकोले खाती रही
यूँ लगा जैसे उसने आवाज दी
रूह मेरी देर तक थरथराती रही
इक पपीहे की बेचैन आवाज से
दिल की धड़कन फड़फड़ाती रही
प्यार में बहुत मुश्किलें हैं जान लो
जिन्दगी हँसाती वो रूलाती रही
   खालिद हुसैन सिद्दीकी
631/85 मुलायम नगर कालोनी इस्माइलगंज चिनहट लखनऊ
उ.प्र. मो.नं 6391225295
आज दिनांक 20/5/2022 की कविता रचना प्रतियोगिता में शामिल करने हेतु

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6 Comments

Seema Priyadarshini sahay

21-May-2022 03:55 PM

बहुत खूब

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Neelam josi

21-May-2022 03:17 PM

Very nice 👍🏼

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Swati chourasia

21-May-2022 07:02 AM

बहुत ही सुंदर रचना 👌👌

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